विदित हो कि सरायकेला-खरसावां जिला क्षेत्र पूर्ण रूपेण भारत का संविधान अनुच्छेद 244(1)पांचवीं अनुसूची क्षेत्र अर्थात आदिवासी बहुल क्षेत्र है ।
भारत का संविधान आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए विधेयक को 22 दिसंबर 2003 को लोकसभा से पारित किया गया था ,इस इस विधेयक पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर 7 जनवरी 2004 को हुआ था ।
यह कि 7 जनवरी 2004 को विधिवत भारत का संविधान में संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है जो यह विभिन्न आदिवासी समाजिक संगठन के अथक प्रयास का नतीजा है ।
यह कि संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल संथाली भाषा को सम्मान देते हुए झारखंड राज्य सरकार ने सरकारी सभी दफ्तर (कार्यालयों) के नाम संथाली भाषा अल चिकी लिपी में लिखे जाने का आदेश/ निर्देश सुनिश्चित किया है ।
परन्तु झारखंड राज्य सरकार के स्पष्ट आदेश/ निर्देश वावजूद आज तक ईचागढ़ प्रखंड सह अंचल कार्यालय एवं अन्य सरकारी दफ्तर के नाम संथाली भाषा अल चिकी लिपी में नहीं लिखें जाना यह सरकारी अधिकारियों का लापरवाही कहा जा सकता है जो यह बहुत बड़ा चिंता का विषय है ।
ज्ञापन के माध्यम यह उल्लेख हैं कि सरकारी अधिकारी राज्य सरकार के आदेश/ निर्देश का अनुपालन करने एवं भारत के संविधान की गरिमा को बरकरार बचाएं रखने हेतु यथा शीघ्र ईचागढ़ प्रखंड सह अंचल कार्यालय एवं अन्य सभी सरकारी कार्यालयों का नाम अल चिकी लिपी में लिखे जाने कि सुनिश्चित करेंगे । ज्ञापन कार्यक्रम में मुख्य रूप से शिलु सारना टुडू चामदा पिड़ पारगाना, गणेश माझी काठघोड़ा माझी बाबा, श्याम चांद किस्कू माझी बाबा बांदु टोला पहाड़पुर गणेश मुर्मू सालबनी माझी बाबा, गणेश टुडू गुदड़ी माझी बाबा,अंजित किस्कू हुरलुंग माझी बाबा, समाजिक कार्यकर्ता धनेश्वर मुर्मू,शक्ति पद हांसदा,महावीर हांसदा, भोला नाथ माझी,मधु हेम्ब्रम एवं काफी संख्या में समाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।