Bokaro : 30 अक्टूबर 2023 को आदिवासी कला संस्कृति भवन, ग्राम- सियारी, थाना - गोमिया, बोकारो में गांव के माझी बाबा श्री पंकज बेसरा के अध्यक्षता में पारंपरिक ग्राम सभा बैठक संपन्न हुआ। बैठक में लालपनिया के लुगू पहाड़ में डीवीसी द्वारा प्रस्तावित हाइडल पावर प्रोजेक्ट निर्माण के संबंध में चर्चा किया गया। सर्वप्रथम ग्राम प्रधान माझी बाबा ने प्रस्तावित हाइडल पावर प्रोजेक्ट के विषय पर विस्तार से उपस्थित ग्रामीणों को बताया। इसके बाद बारी-बारी से उपस्थित महिला पुरुषों से विचार - विमर्श कर अपना -अपना राय सुना गया। ग्रामीणों ने कहा कि लुगू बुरु घांटा बाड़ी धोरोम गाढ़ हमारा आदिवासी समाज का सामाजिक, सांस्कृतिक, पारंपरिक, स्वशासन व्यवस्था, तथा सर्वश्रेष्ठ धार्मिक संस्था का केंद्र है। लुगू बुरु आदिवासी समाज का आदिकाल से महान धार्मिक धरोहर है और रहेगा ।
पहाड़ से हमें विभिन्न तरह के घरेलू उपयोगी सामान, औषधि, फल, फूल, कंद आदि मिलता है जंगल से हमारा गहरा संबंध है। लुगू पहाड़ पर डीवीसी द्वारा प्रस्तावित प्रोजेक्ट बनाए जाने से हमारा धार्मिक आस्था को गंभीर ठेस पहुंचेगी और जल जंगल जमीन पर अतिक्रमण का खतरा का असर पड़ेगा। इसलिए ग्रामीणों ने सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया कि लुगू पहाड़ से डीवीसी द्वारा प्रस्तावित हाइडल पावर प्रोजेक्ट को अभिलंब रद्द करते हुए वापस करें। अन्यथा आदिवासी समाज एक और हूल करने के लिए तैयार है। जल जंगल जमीन हमारा है, न जान देंगे ना जमीन देंगे। लुगू पहाड़ को हर हाल में बचाएंगे । इसके लिए आगामी दिनांक - 5 नवंबर 2023 को आयोजित स्थान -F टाइप फुटबॉल ग्राउंड, लालपनिया में विराट जन आक्रोश महा जुटान में हमारे गांव से भारी से भरी संख्या में महिला पुरुष पारंपरिक औजार के साथ शामिल होंगे । बैठक में मुख्य रूप से पारानिक बाबा धनेश्वर टुडू, नायके बाबा रतन बेसरा, गोडेत राजू बेसरा, जोगमाझी बालदेव माझी, कोदवाटांड पंचायत मुखिया बाबलू हेंम्ब्रोम, सियारी पंचायत मुखिया रामबृक्ष मुर्मू, बाबुली सोरेन, माझी बाबा दुर्गा चरण मुर्मू, रामकुमार हांसदा, बाबुदास टुडू, बुद्धेश्वर किस्कू, दुलाल हांसदा, दासाई मारांडी, बिरेन बेसरा, सोमय बेसरा, बालेश्वर बेसरा, बलराम माझी, निरोज मरांडी, अविनाश बेसरा, महेश मारांडी, श्रीमती पर्वती बेसरा, निर्मला मुर्मू, निशा मारंडी, पूनम मुर्मू,तालो देवी, जितनी सोरेन,सारो बेसरा, कारमी सोरेन, बड़की बेसरा, सुरजी हेम्ब्रोम, माझली किस्कू, चितमुनी चोंड़ें, फुलमनी सोरेन,आशो किस्कू आदि काफी संख्या में समाज के महिला पुरुष उपस्थित थे।