दिशोम मांझी थान दुमका में दिशोम मांझी बाबा विशाल मार्डी और दिशोम नायकी सीताराम सोरेन के अगुवाई में सार्वजनिक पूजा संताल रितिरिवाज से किया गया।
जिसमें मरांगबुरु से समय पर बारिश की कामना की गई जिससे बाकी बचे समय में खेती पूर्ण हो सके, साथ ही साथ मणिपुर में शांति व्यवस्था स्थापित हो और पूरे देशवासियों की सुख समृद्धि की कामना की गई.
पूजा में सैकड़ों की संख्या में संताल आदिवासी पुरुष-महिलाएं के साथ बच्चे भी पारंपरिक पंछी-लूंगी में नज़र आए।
इतना ही नहीं पूरे संताल परगना के लिए दिशोम मांझी थान में ओलचिकी लिपि की पढ़ाई शुरू की गई, जिसका उद्घाटन संताली साहित्यकार मान चुंडा सोरेन सिपाही ने फीता काटकर व सिदो कान्हू मुर्मू, ओल गुरु रघुनाथ मुर्मू के फोटो पर माल्यार्पण कर किया।
तत्पश्चात ओलचिकी लिपि के बारे में प्रसिद्ध संताली साहित्यकार मान चुंडा सोरेन सिपाही, दिशोम परगना रविनाथ टुडू और लोबीन मरांडी ने ओल चिकी को लेकर विस्तार से बताया साप्ताहिक बैठक दिशोम मांझी थान के प्रांगण में जारी रहेगा.